ब्यूरो चीफ, विकास बड़गुर्जर
बरनावा: रविवार को छोटी दीपावली का पर्व देश-विदेश की साध-संगत ने ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां के साथ मनाया।शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा से राम रहीम महाराज ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से साध-संगत से रूबरू हुए और साध-संगत को अपना पावन आशीर्वाद देते हुए उन्हें तीज-त्योहारों को पाक साफ और स्वच्छ तरीके से मनाने के बारे में आह्वान किया। इस दौरान राम रहीम ने हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के परागपुर (नक्की), हरियाणा के जींद, पंजाब के बठिंडा, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, राजस्थान के कोटा, दिल्ली के कंझावला आदि स्थानों पर लाखों लोगों को नशा व अन्य सामाजिक बुराइया छुड़वाने का प्रण कराया गया और उन्हें गुरुमंत्र दिया गया। राम रहीम महाराज ने ऑनलाइन सत्संग करते हुए फरमाया कि यह त्योहार के दिन बड़ी खुशियां व उमंग लेकर आते है। लेकिन इन्सान इनके मीनिंग, मतलब को नहीं समझ पाता। दीपवाली या दीपावली का शब्द दीपा प्लस अवली से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ दीपों की अवली अर्थात दीयों की कतार या पंक्ति से है। दीवाली हर कोई मनाता है, लेकिन हमने देखा है कि रामजी के पदचिन्हों पर चलने वालों की कमी है और रावण सबके अंदर जागा हुआ है। दीपावली में रोशनी जगाई जाती है और यह सबको पता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत का वो दिन जब रामजी अयोध्या वापिस आए थे, घर-घर दिये जले,खुशी मनाई गई। तो उसी त्यौहार को दीपावली के रूप में मनाया जाता है। लेकिन बड़े दर्द की बात है, दुख की बात है कि आज लोग इन दिनों में जुआ खेलते है, नशे करते है, बुरे कर्म करते है और मनुष्य इसी को कहता है कि हम त्योहार को इंजॉय कर रहे है, त्योहार को मना रहे है। उन्होंने कहा कि यह कोई त्योहार को मनाने का तरीका नहीं है। त्योहार जिस लिए बने थे, आज कलियुगी इन्सान उससे बहुत दूर हो चुका है। इन्सान को समझ ही नहीं आ रही कि कैसे त्योहार को मनाया जाए।