श्री पंच परमेष्ठी विधान की पूजा की, उत्तम त्याग धर्म अपनाया

0
259

बड़ौत :आचार्य विमर्श सागर महाराज के सुशिष्य,मुनि  विशुभ्र सागर  महाराज एवं मुनि  विश्वार्क सागर महाराज के सानिध्य मे दसलक्षण पर्व के आठवें दिन अजितनाथ सभागार पांडुक्षिला मैदान बडौत के वातानुकूलित हॉल मे श्री पंच परमेष्ठि विधान का आयोजन किया गया और उत्तम त्याग धर्म की पूजा की गयी।सुबह पीत वस्त्रधारी इन्द्रो ने जिनेंद्र भगवान की प्रतिमा का गर्म प्रासुक जल से अभिषेक किया। शांतिधारा का सौभाग्य सौधर्म इंद्र राजेश कुमार विभोर जैन को प्राप्त हुआ। पूजन में नंदीश्वर दीप पूजन,भगवान शांतिनाथ पूजन, दसलक्षण पूजन और आचार्य विमर्श सागर महाराज मुनिराज की पूजा की गयी। सौधर्म इंद्र विभोर जैन द्वारा मंडल पर 144 अर्घ समर्पित किये गए। विधानाचार्य पंडित राजकिन्ग ने उत्तम त्याग धर्म के महत्व के संबंध में समझाया और सभी को अपने जीवन मे कुछ न कुछ त्याग करने की प्रेरणा दी। विधान के मध्य मंगल प्रवचन देते हुए मुनि विशुभ्र सागर  महाराज ने आज के धर्म उत्तम त्याग धर्म के विषय मे बताया। उन्होंने कहा कि आत्मा के राग द्वेष आदि काशायिक भावो का अभाव होना ही वास्तविक त्याग धर्म है। चार प्रकार के दान भी इसी त्याग धर्म के अंतर्गत आते है। साधना का सच्चा आनंद राग मे नही अपितु त्याग में है। निस्वार्थ भाव से किया गया दान ही त्याग धर्म है। सभा मे सुभाष जैन, मुकेश जैन, प्रदीप जैन, वरदान जैन, राकेश जैन, सुधीर जैन, मनोज जैन, हंस कुमार जैन,अनिल जैन, अशोक जैन, आशीष जैन, संजय जैन, अंकुर जैन आदि उपस्थित रहे।

Leave A Reply

Please enter your comment!
Please enter your name here