बागपत। प्रमुख समाज सेवी सतीश पंवार बली का कहना है कि अब होली में वो बात नहीं रही, जो पहले हुआ करती थी। पहले सभी लोग आपस में मिलजुलकर होली खेला करते थे। उस समय मिलन की होली हुआ करती थी, लेकिन आज लोग होली के बहाने अपनी रंजिश निकालने लगे है।
अब मिलन की नहीं बल्कि रंजिश की होली होने लगी है। बदले की भावना से होली खेली जाने लगी है। पहले होली आने से पहले लोग गेंदे के फूल इकट्ठा करके उन्हें पानी की होदी में डाल दिया करते थे। गेंदे के फूलों से ही रंग बनाया जाता था और उसके बाद उस रंग को पिचकारियों में भरकर लोगों के ऊपर बौछार की जाती थी। फूलों के उस पानी की अलग ही महक हुआ करती थी। आज कैमिकल रंगों से होली खेलते है, जिससे शरीर में एलर्जी हो जाती है, जबकि पहले टेशू के फूलों से होली खेली जाती थी, उससे एलर्जी होने का सवाल ही नहीं था। वक्त साथ होली में काफी बदलाव आ गया है। सतीश पंवार ने कहा कि उनका लोगों से सिर्फ इतना ही कहना है कि वह होली मिलजुलकर खेले। यदि किसी के पुराने मतभेद हो तो वह इस दिन गले मिलकर उन्हें दूर करने का प्रयास करें।
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