मेरठ: नगर निगम के सफाई मजदूर वर्ग के हित में, उत्तर प्रदेशीय सफाई मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार नाज व महामंत्री सतीश छजलाना तथा महामंत्री कैलाश चंदोला तथा मुख्य सलाहकार सुभाष गोस्वामी व सलाहकार नरेश वेद आदि द्वारा किये जा रहे क्रान्तिकारी संघर्ष का पूर्ण समर्थन हैं। आज दिनांक 12 मार्च 2022 में अपार चैंबर बुढ़ाना गेट मेरठ शहर पर की जा रही प्रेस वार्ता के माध्यम से अवगत कराया गया है कि, नगर निगम मेरठ प्रशासन द्वारा अनुसूचित वर्ग के सफाई कर्मियों पर उत्पीड़न किया जा रहा है,जिसके विरुद्ध हम (हिन्द मजदूर सभा जनपद मेरठ व अखिल भारतीय अनुसूचित जाति युवजन समाज जिला मेरठ) हर संघर्ष में साथ हैं, हिन्द मजदूर सभा जनपद मेरठ व अखिल भारतीय अनुसूचित जाति युवजन समाज जिला मेरठ का संघ को पूर्ण समर्थन हैं।
उत्तर प्रदेशीय सफाई मजदूर संघ द्वारा निरंतर अवगत कराया जा रहा है उत्पीडन के विरुद्ध विगत मे थाना देहली गेट मेरठ व मा न्यायालय में मेरठ के अनेकों उत्पीड़क नगर आयुक्त जन मेरठ के विरूद्ध वाद पंजीकृत है, तत्संबंध में शिथिल कार्रवाई से अनुसूचित वर्ग के सफाई कर्मियों के उत्पीड़न में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो न केवल उत्तर प्रदेशीय सफाई मजदूर संघ के लिए असहनीय है,अपितु हिन्द मजदूर सभा जनपद मेरठ के लिए भी असहनीय है,ओर अखिल भारतीय अनुसूचित जाति युवजन समाज जिला मेरठ के लिए भी असहनीय है।
उत्तर प्रदेशीय सफाई मजदूर संघ शाखा नगर निगम मेरठ के क्रान्तिकारी नेताआओं द्वारा अनुसूचित वर्ग के सफाई कर्मियों के उत्पीड़न के विरुद्ध,अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे के तहत गतिपूर्ण कार्रवाई की माँग जायज हैं, रिक्त पदों पर दशकों से सफाई व्यवस्था में नियोजित नगर निगम मेरठ के सफाई कर्मियों को 5 जुलाई 1977 के शासनादेश के तहत नियमितीकरण के समबन्ध में 21फरवरी 1991 के सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली द्वारा तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी दीपक सिंघल के विरुद्ध किये गये contempt के दृष्टिगत, नियमितीकरण की कार्रवाई में वर्तमान नगर आयुक्त मेरठ द्वारा की जा रही हीला हवाली,अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की परिधि में आ रही है।
मेरी (विनेश विधार्थी) की माँग यह भी है कि नगर निगम मेरठ के रिक्त पदों पर दशको से निरंतर कार्य कर रहे सफाई कर्मियों की दीर्घकालिक सेवा को 29 अप्रैल 2015 के शासनादेश का गलत मतलब निकाल कर खत्म किया गया है,सेवा खत्म किये जाने का मुख्य आधार उपजातिगत वैमनस्य है,चूंकि नगर निगम मेरठ में 23 गैर सफाई कर्मियों को तो सीधे शासनादेश के विपरीत नियमित किया गया है, किन्तु सफाई कर्मियों के नियमितीकरण के शासनादेश व सुप्रीम कोर्ट के कन्टैम्प के फलस्वरूप नियमितीकरण से परहेज किया जा रहा है,नगर निगम में उत्तर प्रदेश औधोगिक विवाद अधिनियम की भी अनदेखी की जा रही है ।
वर्तमान नगर आयुक्त, शासनदेश व समझोते के विरुद्ध, हटाये गये सफाई कर्मियों को पुनः सेवा में लिए जाने से परहेज कर रहे हैं।
अनुसूचित वर्ग की महिला सफाई कर्मियों क्रमशः सूनिता पत्नी शीशपाल,बीना पत्नी नरेन्द्र, दिव्यांग महिला सोनू पुत्री स्वर्गीय सुरेश, वादा पत्नी अंकुर,कामायनी पत्नी आकाश आदि को नगर आयुक्त मेरठ पुनः सेवा में लिए जाने से परहेज कर, महिला सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं ।
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