ब्यूरो चीफ, विकास बड़गुर्जर
बिनौली: क्षेत्र के पिचौकरा गांव में हर वर्ष इमाम हुसैन के शहीद होने पर जुलूस निकाला जाता है। मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है। मुहर्रम की 7 तारीख पर हर वर्ष की भांति गांव में एक अजीमुशान मातमी दस्ते के साथ इमाम हुसैन की सवारी दुलदुल (घोड़े) का जुलूस निकाला गया। मुस्लिम धर्म ग्रंथों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि कर्बला में इमाम हुसैन के साथ उनका प्रिय (घोड़ा) भी शहीद हो गया था। उसी की याद में हर वर्ष दुलदुल का जुलूस निकाला जाता है। यह भी मान्यता है कि जो भी इमाम हुसैन का वाहन था, उसके सामने अपने गुनाहों को कुबूल कर लेने से खुदा माफ कर देता है, इसलिए दुलदुल को लोग अनेक प्रकार के पकवान खिलाकर खुश करते हैं, जिससे खुदा उनके गुनाहों को माफ कर देता है। पिचौकरा में मुंतजीम हैदर के घर से बुधवार को विशाल मातम जुलूस निकाला गया। जुलूस में दुलदुल घोड़ा को सजाया गया, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ थीं। बताया जा रहा है कि जो लोग दुलदुल घोड़ा का दर्शन करते हैं, उसकी सभी मन्नतें पूरी होती है। मुंतजीम हैदर के घर से फातिहा के बाद इमाम हुसैन की सवारी दुलदुल (घोड़ा) का जुलूस अहसन रजा के घर से होता हुआ इमामबाड़े में जाकर सभा में परिणत हो गया। अनुयायियों ने अपने करतब दिखाए और या अली या हुसैन की आवाज बुलंद की।
मोहर्रम को लेकर पुलिस प्रशासन के साथ बिजली विभाग भी मुस्तैद रहा। बिजली विभाग के जेई समे सिंह अपनी पूरी टीम के साथ मौके पर मुस्तैद रहे। मोहर्रम व ताजिया जुलूस को ले किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो इसके लिए पुलिस प्रशासन व बिजली विभाग ने सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए। जुलूस निकालने वाली जगह और संभावित जगहों पर पुलिस बल को तैनात किया गया। इसके अलावा अफवाह फैलाने वालों लोगों पर पुलिस नजर रखी हुई थी।
इस मौके पर मुंतजिम हैदर, जिशान हैदर, सिफते मेहंदी काजमी, अलीरजा, अलीहैदर, मोहसिन, अब्बास मेहंदी काजमी, अलीरजा, अहसान रजा आदि मौजूद रहे
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