“भगवान विष्णु नृसिंह संकट मोचन पुष्प अर्चन-अग्निहोत्र में भाग लेने के लिए उमड़े श्रद्धालु”
मसूरी ( देहरादून)। आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन , भारत के तत्वावधान में संचालित ग्राम क्यारकुली भट्टा स्थित भगवान शंकर आश्रम में फाल्गुन पूर्णिमा महोत्सव धूमधाम से प्रारंभ हुआ। भगवान विष्णु नृसिंह और संकट मोचन पुष्प अर्चन एवं महानुष्ठान में देश विदेश से श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया । इस उत्सव में सभी प्रकार के सौभाग्य देने वाले भगवान विष्णु और महालक्ष्मी के श्री विग्रह का हज़ारों पुष्पों से पुष्पार्चन किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य दिव्य अग्निहोत्र से समस्त पर्वतीय क्षेत्र ईश्वरीय ऊर्जा से सुवासित हो उठा। देश विदेश से लगभग 400 आर्यम शिष्यों ने इस समारोह में भाग लिया।
ट्रस्ट के संस्थापक और कुलप्रमुख परमप्रज्ञ जगतगुरु प्रोफेसर पुष्पेन्द्र कुमार आर्यम जी महाराज के पावन सानिध्य में होलिका उत्सव के समस्त सत्र पूर्ण विधि विधान से प्रारंभ हुए । हमारे समस्त सांस्कृतिक पर्वों पर, विशेषकर होली के धार्मिक , सामाजिक एवं नैतिक परिप्रेक्ष्य पर गुरुश्रेष्ठ ने प्रकाश डाला। श्री गुरुदेव का कथन था कि प्रदोष काल व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित काल में ही होलिका दहन किए जाने का विधान है। इसका ‘धर्मसिंधु’ में स्पष्ट उल्लेख है । यथा – ‘सा प्रदोष व्यापिनी भद्रा रहित ग्राह्या’।
होली हमारे अंदर बसे कई खट्टे मीठे संवेगों को निष्कासित करना का पर्व है। बैर, ईर्ष्या, लोभ, लालच आदि भाव हमारे मन को प्रदूषित करते हैं। श्री आर्यम जी महाराज ने सभी ईश्वर भक्तों से आह्वान किया कि ईश्वर प्राप्ति केवल शुद्ध हृदय से ही संभव है। जीवन में हम ईश्वर से असंख्य चीज़ों की मांग करते हैं किन्तु गुरुदेव का कथन है कि ” आप ईश्वर से कहें कि मैं पाऊं तो किन्तु उस सुखपूर्वक भोग भी सकूं।” पांडव पांच थे और कौरव सौ, बावजूद इसके जीत पांडवों की हुई। जब हमारा मस्तिष्क, शरीर एवं आत्मा एकलय होते हैं तब हमें जीवित यापन के लिए पदार्थों की सीमित मात्रा ही पर्याप्त होती है।
आध्यात्मिकता के पथ पर चल रहे श्रेष्ठ लोग भलीभांति जानते हैं कि सबसे मुश्किल कार्य है अनवरत कर्म का संस्कार। परिवर्तन संसार का नियम ज़रूर है किन्तु जो भाव, जो अवस्था लंबे वक्त तक बनी रहती हैं उतनी ही वे परिष्कृत होती हैं। होली के अवसर से वासंती हवाएं चलती हैं। कहीं सुख प्रदत्त होता है तो कहीं दुख। दुख का सहज और सरल उपाय गुरुदेव ने बताया कि ” जब दुख आए तब परमात्मा का धन्यवाद करें। ” आपको दुख पहुंचाना ईश्वरीय ऊर्जाओं के लिए अहेतु की बात है। अंततः हमें परमात्मा के साथ स्वच्छ स्वस्थ रिश्ता बनाना चाहिए।
ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री ने स्पष्ट किया कि अक्सर होली पर ऐसा भव्य अनुष्ठान किसी भी भारतीय गुरु द्वारा नहीं किया जाता है। होली के दिन आर्यम जी महाराज ने अनुष्ठान करके आर्यम संयोगियों के जीवन में अमूल चूल परिवर्तन लाने का कार्य किया हैं। होली पर ऐसे आलोकिक हवन में शामिल होने से बुरी चीज़ों अथवा विचारों से हमारी रक्षा होती है। आज ही फाल्गुन पूर्णिमा से संबंधित सभी तरह के उप कर्म आश्रम में विधि विधान से संपन्न हुए।
समारोह के आयोजन में दुबई, अमेरिका, सऊदी अरब, लंदन आदि के अलावा भारत के अनेक प्रांतों व स्थानों से लोगों ने सहभागिता की। इस समारोह के आयोजन में सुनील कुमार आर्य, प्रीतेश आर्यम, श्वेता जायसवाल , अविनाश जायसवाल, भव्या सिंह, रमन सिंह, हर्षिता आर्यम, चंद्रपाल शर्मा, राकेश रघुवंशी, संध्या रघुवंशी, भीम सिंह रावत, सरिता रावत, अमन, प्रशांत आर्य, प्रवेंद्र, देवेंद्र, शालिनी अरोड़ा, गौरव स्वामी, सोनिया कुंदन आदि का सहयोग रहा।
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