मसूरी (देहरादून)। देवभूमि उत्तराखंड में अवस्थित आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा संचालित भगवान शंकर आश्रम में कार्तिक पूर्णिमा पर भव्य महाकृपा समायोजन अनुष्ठान संपन्न हुआ। इस अनुष्ठान में देश विदेश से पधारे श्रद्धालाओं ने कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव में सहभागिता की। लक्ष्मी विष्णु का दिव्य पुष्पार्चन एवं अलौकिक अग्निहोत्र के अवसर पर ट्रस्ट के संस्थापक एवं आश्रम के कुलप्रमुख परमप्रज्ञ जगतगुरु प्रोफेसर पुष्पेन्द्र कुमार आर्यम जी महाराज ने हिंदू धर्म के पर्वों और संस्कारमय परंपराओं के महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने सिख पंथ के प्रथम गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर उनके योगदान को स्मरण किया ।
गुरुदेव आर्यम श्री ने बताया कि इन अवसरों पर किए गए पूजा पाठ अधिक लाभकारी एवं अच्छे भाग्य की मनोकामना पूर्ण करते हैं ।लक्ष्मी हृदय नारायण स्तोत्र से असंख्य कमल के पुष्पों से दिव्य पुष्पार्चन एवं वेद मंत्रों से अग्निहोत्रम संपन्न हुआ। आश्रम में पधारे सभी भक्तों को गुरुदेव ने अपने ज्ञान से आलोकित किया।
गुरुदेव श्री ने समझाया कि किस तरह से हमें देश भर में प्रकृति की रक्षा कर उसके हित के लिए काम करना चाहिए। विशेषकर उन्होंने आश्रम परिसर में लगे हजारों की संख्या में बांझ के वृक्ष के लाभ को रेखांकित किया। किस तरह से बांझ का पेड़ किसी उपयोगी फ़ल ना देने के बावजूद भी वो वायु को स्वच्छ बनाए रखता है और उससे बढ़कर वो वर्षा का द्योतक है। विश्व ने भी इस बात को पहचाना है और इसी बात का उपदेश दिया है। गुरुदेव ने समझाया किस तरह से आध्यात्म और प्रकृति दो समानांतर रेखाओं की भांति आगे बढ़ाते हैं। किंतु यहां ये रेखाएं एक दूसरे से जाकर मिलती हैं चूंकि आध्यात्म और प्रकृति ये दोनों ही संवेदनाओं से चलित हैं।
ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री ने बताया कि देश विदेश में इस महत्वपूर्ण अवसर के मूल तत्व की पहचान करने वाले एकमात्र परमप्रज्ञ गुरुदेव श्री आर्यम ही हैं। साथ ही वे सभी ईश्वर के भक्तों को आह्वान करते हैं कि सभी वैदिक प्रार्थनाओं की ओर अग्रसारित हों।
कार्यक्रम को सफल बनाने में सुनील आर्य, प्रतिभा श्री, यामिनी श्री, उत्कर्ष सिंह, प्रशांत, प्रीतेश, प्रविन्द्र, चन्द्रपाल शर्मा, हर्षिता आर्यम, अक्षिता, अक्ष आदि का सहयोग रहा।
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