मसूरी (देहरादून)। देवभूमि उत्तराखंड में अवस्थित आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा संचालित भगवान शंकर आश्रम परिसर में आश्विन माह की शरद पूर्णिमा पर हुआ दिव्य खड़गमाला अग्निहोत्र एवं कनकधारा स्तोत्र से पुष्पार्चन। ट्रस्ट के संस्थापक एवं आश्रम के कुलप्रमुख परमप्रज्ञ जगतगुरु प्रोफेसर पुष्पेन्द्र कुमार आर्यम जी महाराज के सानिध्य में यह आयोजन संपन्न हुआ। पूर्णिमा की शुभ वेला पर देशभर से पधारे आर्यम श्रद्धालुओं ने इस विशिष्ट आयोजन में सहभागिता की।
गुरुदेव आर्यम जी महाराज ने बताया की शरद पूर्णिमा के अवसर पर खड़गमाला का पाठ अत्यधिक महत्व रखता है। शरद पूर्णिमा से प्रारंभ होकर कार्तिक पूर्णिमा के अंतराल में किए गए कनकधारा स्तोत्र, श्री सुक्त के पाठ लक्ष्मी एवं शुभता का आगमन करते हैं। आश्रम में पधारे सभी भक्तों को गुरुदेव ने अपने ज्ञान से आलोकित किया और शरद पूर्णिमा से संबंधित कई मान्यताओं एवं अवधारणाओं से भक्तों को सचेत किया।
आर्यम जी महाराज ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को सोमरस की वर्षा होती है। यहां इसका अभिप्राय चंद्रमा की रश्मियों से है। ये रश्मियां औषधीय गुणों को लिए होती हैं जो हमारे मन मस्तिष्क को ऊर्जस्वित करती हैं। रात को अगर मिट्टी की हंडिया में खीर बनाकर रख दी जाए और प्रातःकाल उसका सेवन बच्चे एवं बड़े करें तो वह अत्यंत लाभकारी होती है।
ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री ने बताया कि देश-विदेश में इस महत्वपूर्ण अवसर के मूल तत्व की पहचान करने वाले एकमात्र परमप्रज्ञ गुरुदेव श्री आर्यम ही हैं। साथ ही वे सभी ईश्वर के भक्तों को आह्वान करते हैं कि सभी वैदिक प्रार्थनाओं की ओर अग्रसारित हों और अपने आने वाली पीढ़ी के लिए केवल भौतिक चीजें ही छोड़कर न जाएं। संचित किए गए पुण्य एवं संस्कारों से भरी पोटली सदैव उनको ईश्वर कृपा में रखेंगी।
आज के कार्यक्रम में सुनील कुमार आर्य, प्रतिभा आर्य, उत्कर्ष, रमन सिंह, माँ यामिनी श्री एवं हर्षिता आर्यम का सहयोग रहा।
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