संघ के करीबी रहे मोहन यादव बने मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री 

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भोपाल। मध्य प्रदेश के नए सीएम बने मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं। वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के करीबी हैं। शिवराज सिंह सरकार में वह उच्च शिक्षा मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। वह उज्जैन दक्षिण से लगातार जीतने वाले पहले नेता हैं। मोहन यादव पहली बार 2013 में विधायक बने थे। इस बार चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार से तकरीबन 12941 मतों से जीत हासिल की थी।
डा.मोहन यादव ने 1982 में राजनीति में कदम रखा था। वह माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह सचिव चुने गए थे। इसके बाद 1984 में उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन का नगर मंत्री बनाया गया था। यहां उनके बढ़िया कामकाज का इनाम मिला और 1986 में उन्हें संगठन का विभाग प्रमुख और इसके दो साल बाद ही एबीवीपी की मध्य प्रदेश इकाई में उन्हें सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य का दायित्व दिया गया था।
2013 में पहली बार लड़ा विधानसभा चुनाव
डा.मोहन यादव संगठन में लगातार काम करते रहे। इसका उन्हें इनाम भी मिला। 2011 में भाजपा ने उन्हें मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम भोपाल का अध्यक्ष बनाकर, कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया। इसके दो साल बाद उन्हें पहली बार विधानसभा चुनाव का टिकट दिया गया। उज्जैन साउथ से बंपर जीत दर्ज कर उन्होंने खुद को साबित किया और पार्टी और जनता के लिए लगातार काम करते रहे। 2018 में मोहन यादव को दूसरी बार विधानसभा चुनाव में मौका दिया गया और उन्होंने दूसरी बार जीत हासिल की।
शिवराज सरकार में थे कैबिनेट मंत्री, उज्जैन संभाग के बड़े नेता
डा.मोहन यादव को 2020 में शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। यहां उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्रालय संभाला था। डा.यादव को सीएम बनाने के पीछे उज्जैन संभाग पर उनकी पकड़ और यहां कराया गया उनका कामकाज रहा। दरअसल मोहन यादव उज्जैन संभाग के बड़े नेता माने जाते हैं। वह लगातार यहां सक्रिय रहे। यहां कराए गए विकास कार्यों को लेकर उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
उज्जैन के विकास के लिए मिल चुका है पुरस्कार
डा.मोहन यादव को उज्जैन के समग्र विकास के लिए अप्रवासी भारतीय संगठन शिकागो की ओर से डा.मोहन यादव को महात्मा गांधी पुरस्कार और इंस्कॉन इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में पर्यटन के निंतर विकास के लिए उन्हें 2011 से 2012 और 2013 से 2013 में लगातार दो बार राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार दिया गया।

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