ब्यूरो चीफ, विकास बड़गुर्जर
बिनौली: विश्व ओजोन डे के अवसर पर गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक डा.अनिल आर्य ने कहा कि दरअसल ओजोन लेयर को बचाने और जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 16 सितंबर को ‘वर्ल्ड ओजोन डे’ मनाया जाता है। पृथ्वी की सतह से करीब 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर ओजोन लेयर की एक पतली परत पाई जाती है। इसे ही ओजोन लेयर या ओजोन परत कहते हैं। यह परत सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों को अब्जॉर्ब करके पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवों को बचाती है।
ये रेडिएशन अगर धरती तक बिना किसी परत के सीधी पहुंच जाए तो ये मनुष्य के साथ पेड़-पौधों और जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक को सकती है। ओजोन लेयर धरती के वायुमंडल की एक परत है जो सूरज से सीधी आती किरणों को रोकती है। ओजोन परत सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों को छानकर धरती पर भेजता है। ओजोन लेयर धरती और उस पर रहने वाले सभी जीवों की रक्षा हानिकारक किरणों से करती है। सूरज की हानिकारक किरणों से बहुत सी बीमारियां और परेशानियां झेलनी पड़ सकती है, जिसे केवल ओजोन लेयर ही रोक सकती है। यहां आपको बताते चलें कि फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने 1913 में इस परत की खोज की थी। ओजोन परत की स्थिति को देखते हुए हर साल ओजोन डे मनाना बेहद जरूरी है ताकि हर किसी को ओजोन परत के बारे में जानकारी देकर जागरूक फैलाया जा सके। हर साल ओजोन डे पर लोगों को क्लोरोफ्लोरोकार्बन, प्लास्टिक और सभी हानिकारक पदार्थों के इस्तेमाल को कम कर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है। लोग घर पर एसी और फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं और उससे जो गैस निकलती है वो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है। वहीं लोगों द्वारा पेड़ पौधों को काटना भी ओजोन लेयर के लिए नुकसानदायक है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन के लिए ओजोन परत बहुत जरूरी है। ओजोन लेयर के बिगड़ने से जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है। जलवायु परिवर्तन से धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं। इस गंभीर संकट को देखते हुए ही दुनियाभर में ओजोन लेयर के संरक्षण को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। जिस तरह ओजोन लेयर इंसानों और धरती पर प्राणियों को घातक किरणों को बचाती है, वैसे ही इसका फायदा खेती को भी मिलता है। ओजोन लेयर न रहे तो फसलों को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। यहां तक कि फसलों पर रेडिएशन का खतरनाक असर देखा जा सकता है। ऐसे में यह लेयर फसल को बचाकर पूरे फसल चक्र को सुरक्षित करती है। रिसर्च में यह भी पता चला है कि ओजोन लेयर क्षतिग्रस्त हो तो धरती पर खाद्य उत्पादन में भारी कमी आ सकती है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि खतरनाक किरणें फसलों की पैदावार को प्रभावित करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सोयाबीन, गेहूं और धान पर सबसे खतरनाक असर देखा जाता है।
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