तम्बाकू सेवन व धूम्रपान शरीर के साथ आर्थिक स्थिति पर भी डालता है असर : क्षय रोग अधिकारी

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  • तम्बाकू और धूम्रपान से बचें टीबी मरीज
  • टीबी होने के मुख्य पांच जोख़िमों में धूम्रपान भी एक प्रमुख कारक
  • उपचार वाले 1853 मरीजों में से 250 मिले तम्बाकू सेवन व धूम्रपान करने वाले

कासगंज: तम्बाकू सेवन और धूम्रपान 25 तरह की बीमारियों और 40 तरह के कैंसर का प्रमुख कारक है। इन्हीं बीमारियों में से एक प्रमुख बीमारी है टीबी क्योंकि धूम्रपान सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बनाता है। इसलिए टीबी से बचना है तो तम्बाकू और धूम्रपान से बचने में ही भलाई है। इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।
देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। तम्बाकू व धूम्रपान की लत टीबी मरीजों की दर में बढ़ोतरी कर रहा है, यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डा.मनोज शुक्ला का।
डा.शुक्ला का कहना है कि तंबाकू सेवन या धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में टीबी संक्रमण फैलने का खतरा तीन गुना अधिक रहता है। वहीँ सामान्य व्यक्ति की तुलना में तम्बाकू सेवन करने वाले व्यक्तियों में टीबी से होने वाली मृत्यु भी तीन गुना अधिक रहती है।
डा.शुक्ला ने बताया धूम्रपान पूरे शरीर के साथ फेफड़ों पर भी सबसे ज्यादा असर डालता है, फेफड़े कमज़ोर हो जाने की वजह से ऐसे लोगों में टीबी के संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। इंडिया टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार टीबी होने के मुख्य पांच जोख़िमों में धूम्रपान भी एक है। वहीँ धूम्रपान से टीबी रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देता है। धूम्रपान से स्वास्थ्य तो खराब हो ही रहा है। इसके साथ ही परिवार व आस पास के लोगों को धूम्रपान का धुआं नुकसान पहुंचाता है। डा. शुक्ला शुक्ला बताते हैं कि लोग पहले तो तम्बाकू के सेवन में पैसा खर्च करते हैं उसके बाद उससे होने वाली बीमारियों में पैसा खर्च होता है। इससे स्वास्थ्य की हानि के साथ आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ता है। टीबी मरीजों को सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये दिए जाते हैं।
तम्बाकू सेवन व धूम्रपान से बचने के बारे में जागरूक करने के लिए संयुक्त जिला अस्पताल की ओपीडी में डॉक्टर, काउंसलर व स्टॉफ नर्स द्वारा लोगों की काउंसलिंग की जाती है। इसके साथ ही इससे होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाता हैं।
क्षय रोग जिला समन्वयक धर्मेंद्र यादव ने बताया कि जिले में इस समय 1853 मरीजों का उपचार चल रहा है। इनमें लगभग 250 मरीज़ तम्बाकू सेवन व धूम्रपान करने वाले हैं। विभाग द्वारा टीबी मरीजों को तम्बाकू व धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी जाती है और उनसे शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाता है।
उन्होंने कहा कि दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार आना, बलगम में खून आना, वजन का कम होना आदि लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर तुरंत जांच करवानी चाहिए। जाँच में टीबी की पुष्टि होने पर नियमित दवा सेवन के साथ खानपान का भी ख्याल रखें।
जाँच व डॉट्स की सुविधा उपलब्ध:
◆ सयुंक्त जिला अस्पताल मामो
◆ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अशोकनगर
◆ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोरो
◆ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहावर
◆ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंजडुण्डवारा
◆ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटियाली
◆ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अमापुर
◆ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिढ़पुरा

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