ब्यूरो चीफ, विकास बड़गुर्जर
बिनौली: गांव के शिव मंदिर में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को कथवाचक आचार्य राधारमन महाराज ने कहा मनुष्य की पहचान उसके कर्मो से होती है। परमात्मा की स्तुति से सद्बुद्धि मिलती है।
आचार्य राधारमन ने कहा कि धन, बल, जाति यह सब दिखावा है, इसका कोई ठिकाना नहीं होता। नि:स्वार्थ होकर ईश्वर की पूजा करने से ही फल मिलता है, और सद्भावना से दान करने पर कष्टों का निवारण होता है। मनुष्य अनेक वस्तुएँ चाहता है, यदि मनुष्य बुद्धिबल, मनोबल तथा शारीरिक शक्ति सम्पन्न है तब वह धन प्राप्त कर लेगा यदि किसी में शरीर का बल है और उत्तम कार्य करने के विचार नहीं हैं तो उसका बल साधारण कार्यों को तो कर लेगा, कोई विशेष कार्य नही कर सकेगा। यदि विचार भी उत्तम हों, किंतु बुद्धिबल न हो तो वह अपने विचार कार्यान्वित न कर सकेगा।
इसलिए मनुष्य के शरीर में बल होना चाहिए, मन में उत्तम विचार होने आवश्यक हैं, इनको व्यवस्था में रखने के लिए बुद्धि की अत्यन्त आवश्यकता है। सत्य और बुद्धि भगवान की साधना और उपासना से ही प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि धन व बल बढ़ने पर अधिकांश लोगों में अहंकार आ जाता है। उन क्षणों में व्यक्ति खुद को भूलकर ईश्वर की भक्ति में मग्न हो जाना चाहिए। व्यक्ति को अपने कर्मो को करते रहना चाहिए। फल की इच्छा उसकी भक्ति को स्वार्थी बना देती है। इससे उसको उस भक्ति का फल ही नहीं मिल पाता है। इस अवसर पर उपेंद्र प्रधान, ग्राम प्रधान रेनू धामा, शोराज सिंह,राजीव गोस्वामी, अशोक धामा, नारायण प्रेम उपाध्याय, महेश धामा, लीलू चौहान, सतीश सक्सेना, पीयूष जैन, अनिल मेंबर,प्रदीप शर्मा, सुमन शर्मा, प्रेमलता, राजेश देवी, ऊषा वर्मा, राजकुमारी आदि मौजूद रहे।