Tuesday, April 23, 2024

बागपत के प्रसिद्ध पीरो में शुमार है निवाड़ा का बाबा ताहर खां पीर

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Shani Deshwal is tech blogger and journalist by passion with an experience of 7 years in the industry. He is very always ready to find new things to learn and R&D to produce something new and interesting.

ब्यूरो चीफ, विकास बड़गुर्जर 

बागपत: निवाड़ा गांव में ताहर खां पीर की गिनती जनपद बागपत के प्रसिद्ध पीरों में की जाती है। मान्यताओं के अनुसार लगभग 450 वर्ष पूर्व ताहर सिंह, नाहर सिंह और इनका छोटा भाई राजस्थान के महापराक्रमी, महाज्ञानी वीर योद्धा थे। राजा-रजवाड़ों से जुड़े ये वीर योद्धा समय-समय पर इस क्षेत्र में शिकार करने के लिए आया करते थे। ताहर सिंह महापराक्रमी होने के साथ-साथ एक धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे और उस समय इस क्षेत्र के कई पीर-फकीरों के सम्पर्क में थे और उनकी शिक्षाओं से प्रभावित थे। उस समय निवाड़ा गांव का नाम मानक चौक था, यह पठानों का गांव था। गांव का चौधरी बेरहम खॉं था और उस समय दिल्ली की सल्तनत मुगल सम्राट अकबर के हाथों में थी। इस गांव और आसपास के गांवो के लोग इस क्षेत्र के आदमखोर व नरभक्षी जानवरों से बहुत परेशान थे। ये जानवर सैंकड़ो लोगों को मौत के घाट उतार चुके थे। जिस कारण मानक चौक गांव तहस-नहस हो चुका था। जब पीर-फकीरों के माध्यम से ताहर सिंह, नाहर सिंह और इनके भाई को इस बारे में इस बारे में ज्ञात हुआ उन्होने मानक चौक गांव के आस-पास के समस्त नरभक्षी जानवरों को समाप्त कर दिया और गांववासियों और पीर-फकीरों को भयमुक्त किया। बताया जाता है कि उस समय मुगल सम्राट अकबर तक ने ताहर सिंह, नाहर सिंह और उनके छोटे भाई के इस कार्य के लिए प्रशंसा की और इस नेक कार्य के लिए इनको पुरस्कृत किया। ताहर सिंह और नाहर सिंह पीर-फकीरों के आग्रह पर इसी स्थान पर बस गये जबकि इनका छोटा भाई वापस राजस्थान चला गया। इस्लामिक विद्धानों के सम्पर्क में आने और पवित्र कुरान की नेक शिक्षाओं से प्रभावित होकर दोनो भाईयों ने इस्लाम धर्म अपना लिया और सिंह से खां हो गये। ताहर खां और नाहर खां ने मानक चौक गांव को पुनः बसाया और नाहर खां के नाम पर इस गांव का नाम निवाड़ा पड़ा। बताया जाता है कि ताहर खां पर अल्लाह की बड़ी मेहर थी। अल्लाह की निस्वार्थ इबादत करने और कुरान की बातों को जीवन में अंगीकार करने के कारण उनमें अद्धभुत शक्तियां थी और उनको सिद्ध पुरूष की संज्ञा हासिल थी। उन्होंने आजीवन लोगों की भलाई और उद्धार के लिए कार्य किये। नाहर खॉं के तीन बच्चे थे – चौधरी समीर खॉं, चौधरी सरफराज खॉं व चौधरी जीवन खॉं। इन तीनों बच्चों ने गांव में तीन पट्टी बसाई जिनके नाम चौहान पट्टी, बीचपटिया पट्टी, फाड़ी पट्टी है। गांव के एक बुर्जुग ने बताया कि चौधरी सरफराज की पांचवी – छठी पीढ़ी से प्रसिद्ध समाजसेवी व पूर्व प्रधान रिफाकत अली आते है। कहा कि गांव के लोगों में ताहर खां पीर की बहुत मान्यता है। गांव का हर व्यक्ति त्यौहार व हर नेक कार्य करने से पहले बाबा ताहर खां के पीर पर हाजरी जरूर लगाता है और उनका आर्शीवाद लेता है। हर वर्ष विभिन्न धर्मो व जातियों के हजारों लोग ऊॅच-नीच के भेदभाव के बिना इस पीर के दर्शनों को आते है और बाबा सबकी मनोकामना पूर्ण करते है।

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