त्रिदेव दुग्गल की हरियाणवी शायरी की कायल हुई पर्वतारोही अनीता कुंडू

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भिवानी: पैर भी जमीन पै राखणे सैं अर आसमान भी नापणा सै।
कामयाबी के इतिहास मैं एक नया इतिहास छापणा सै।
सफलता के शिखर पै कामयाबी का झंडा फहराऊंगा।
हाँ … मैं आपणे हौसले नै “अनीता कुंडू” बणाऊंगा।


हरियाणा के युवा कवि, शायर एवं गीतकार त्रिदेव दुग्गल मुंढालिया की कलम से निकली इन मोटिवेशनल पंक्तियों ने विश्व की सात सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहराने वाली पर्वतारोही अनीता कुंडू का दिल जीत लिया। ठेठ हरियाणवी में लिखी इन पंक्तियों से अनीता कुंडू इतनी प्रभावित हुई कि बुधवार सांय उन्होंने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से इन पंक्तियों को शेयर किया और उसके बाद गुरुवार को अपनी इंस्टाग्राम और फेसबुक स्टोरी पर भी सांझा किया। अनीता कुंडू के शेयर करने के बाद ये पंक्ति जमकर वायरल हुई। अनेकों यूजर्स ने इन पंक्तियों को अपने सोशल मिडिया अकाउंट पर सांझा किया। आपको बता दें कि हरियाणा पुलिस में बतौर इंस्पेक्टर कार्यरत अनीता कुंडू भारत देश की एकमात्र महिला हैं जो सातों महाद्वीपों की सात सबसे ऊँची चोटियों पर भारत का झंडा लहरा कर दुनिया में भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं। देश भर में मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर भी उनकी विशेष पहचान है। युवा कवि एवं शायर त्रिदेव दुग्गल ने बताया कि उसकी लिखी हरियाणवी पंक्तियों को पर्वतारोही अनीता कुंडू द्वारा शेयर किया जाना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नही है।
गौरतलब है कि त्रिदेव दुग्गल लेखन के साथ साथ समाज भलाई कार्यों में भी विशेष रूचि रखते हैं। दुग्गल को काव्य जगत में बेहतरीन प्रदर्शन और नियमित रक्तदान के लिए अनेकों सम्मान मिल चुके हैं।

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