ब्यूरो चीफ, विकास बड़गुर्जर
बिनौली: बरनावा के श्री चंद्रप्रभ अतिशय क्षेत्र मंदिर में पर्यूषण पर्व विधान में श्रद्धालुओं ने अकिंचन धर्म की पूजा की।पंडित महेश शास्त्री ने कहा कि प्रथम सत्य ही अंतिम सत्य है। मनुष्य प्रथम सत्य को भूल जाता है, इसलिए परमात्मा को प्राप्त नहीं कर पाता। मनुष्य संसार में नग्न आया है और अंतिम सत्य है कि यहां से मनुष्य नग्न ही जाएगा। परिग्रह को एकत्र करना, यह संसार का यथार्थ सत्य है। परिग्रह में आनंद लेने के कारण मनुष्य स्वयं के परमात्मा को पाने से वंचित है। संसार में आत्मा के अतिरिक्त मेरा कुछ भी नहीं है। इस भाव का नाम अकिंचन है। जब तक मनुष्य अहंकार, राग, द्वेष, तेरे, मेरे के भाव से मुक्त नहीं होगा तब तक संसार से मुक्त नहीं हो पाता। मनुष्य को प्रकृति पुरुष बनना चाहिए विकृति को नहीं स्वीकारना चाहिए। तुच्छ संकल्प विकल्प को तिलांजलि देकर, अकिंचन होने का प्रयास करना चाहिए। उधर बिनौली के श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में पंडित श्रेयांस जैन के निर्देशन में श्रद्धालुओं ने दशलक्षण पर के नोवे दिन उत्तम आकिंचन धर्म को अंगीकार किया। इस अवसर पर धनेंद्र जैन, ऋषभ जैन, अतुल जैन, अंकुर जैन पीयूष जैन, संभव जैन, प्रशांत जैन, अरिहंत जैन, सचिन जैन, सतेंद्र जैन, संयम जैन, मोहित जैन आदि मौजूद रहे।
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