उत्तर प्रदेश की साध-संगत ने धूमधाम से मनाया पावन महापरोपकार माह

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श्रद्धालुओं के उत्साह के आगे छोटा पड़ गया डेरा सच्चा सौदा का विशाल आश्रम

ब्यूरो चीप, विकास बड़गुर्जर

बरनावा:डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां का पावन महापरोपकार माह (गुरुगद्दीनशीनी माह) रविवार को उत्तर प्रदेश की साध-संगत ने शाह सतनाम आश्रम बरनावा, जिला बागपत में धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया। पावन भंडारे की नामचर्चा में भारी तादाद में साध-संगत ने शिरकत की। विशाल आश्रम साध-संगत से खचाखच भरा हुआ था। इस शुभ अवसर पर 32 जरूरतमंद परिवारों को राशन किटें देने सहित साध-संगत ने मानवता भलाई कार्यों के 142 कार्यों को नई रफ्तार दी गई।

शाह सतनाम आश्रम में शनिवार सायं से ही साध-संगत आना शुरू हो गई थी और रविवार अल सुबह तक ही पूरा आश्रम साध-संगत से पूरी तरह भर गया। आश्रम की ओर आने वाले सभी मार्गों पर दूर-दूर तक साध-संगत ही दिखाई दे रही थी। सुबह 11 बजे पवित्र नारा ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के रूप में पूज्य गुरू जी को पावन महापरोपकार माह की बधाई के साथ पावन भंडारे की नामचर्चा का आगाज हुआ। साध-संगत के भारी उत्साह के सामने डेरा प्रबंधन की ओर से किए गए व्यापक प्रबंध भी छोटे पड़ते नजर आए। जहां तक नजर दौड़ रही थी साध-संगत का जनसमूह ही दिखाई दे रहा था। इस अवसर पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों पर पूज्य गुरू जी के अनमोल वचनों को साध-संगत ने एकाग्रचित होकर श्रवण किया। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के उपकारों को लिख बोलकर वर्णन कर पाना मुश्किल है। गुरु ने फरमाया कि मुरीद कभी अपने मुर्शिद को नहीं भुलता, मक्खियां-मच्छर तो उड़ जाया करते हैं। धन्य हैं मालिक के वो प्यारे जो आज राम-नाम और इन्सानियत की भलाई के रास्ते पर पूरी दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं। इस अवसर पर पावन महापरोपकार माह से संबंधित डॉक्यूमेंट्री चलाई गई। हालांकि नामचर्चा की समाप्ति तक साध-संगत का आना लगातार जारी था। इसके पश्चात हजारों सेवादारों द्वारा आई हुई साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर-भोजन खिला दिया गया।


गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने 23 सितंबर 1990 को पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को अपना रूप बनाते हुए पावन गुरुगद्दी की बख्शिश की थी। इस पूरे महीने को करोड़ों साध-संगत मानवता भलाई के कार्यों को करके मनाती है।

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