सत्य ही मानव का श्रृंगार: महेश शास्त्री

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ब्यूरो चीप, विकास बड़गुर्जर

बिनौली:  बरनावा के श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर में पर्यूषण पर्व के पंचम दिन श्रद्दालुओं ने उत्तम सत्य धर्म की पूजा की।पंडित महेश चंद शास्त्री ने कहा कि आत्मा की सफाई होने के उपरांत आत्मा के दिव्य आसन में सत्य का देवता विराजमान हो जाता है। धर्म अनुभूति को सत्य कहते है। शब्द को नहीं, शब्दों के माध्यम से जो भी कहा जाता है, वह पूर्ण सत्य नहीं होता। क्योंकि शब्द जड़, मृत व सीमित है। सत्य चेतन,जीवंत व असीमित है। फिर भी जब तक व्यक्ति बाह्य सत्य से परिचित नहीं होता, तब तक वह अंदर के सत्य से परिचय नहीं कर पाता। व्यवहारिक सैद्धांतिक और अध्यात्मिक सत्य के रूप होते हैं। आध्यात्मिक सत्य अनुभूति आत्मिक होती है। सत्य की महिमा का गुणगान नहीं किया जा सकता। यह आत्मा उन्नति की परंपरा व मानव जीवन का श्रृंगार है। सतगुरु की तरह जीवन को अच्छे मार्ग की ओर ले जाता है।

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