क्रोध मनुष्य की साधना को नष्ट करता है: पीयूष

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बिनौली: बरनावा के श्री चंद्रप्रभ अतिशय क्षेत्र मंदिर में चल रहे 40 दिवसीय विधान में मंगलवार को श्रद्धालुओं ने मंत्रोचारण के साथ अर्घ्य चढ़ाए।
ब्रहमचारी प्रदीप पीयूष के निर्देशन में श्रद्धालुओं ने नित्य नियम पूजन, शांतिधारा व भगवान का अभिषेक किया। उन्होंने कहा कि कुछ समय का बुखार मनुष्य की कई महीने की शक्ति को नष्ट कर देता है। परंतु क्षण भर का क्रोध मनुष्य भव की साधना को नष्ट कर देता है। क्रोध करने वाले व्यक्ति को चांडाल की उपमा दी जाती है। सहनशीलता व क्रोध के अभाव को परमात्मा की संज्ञा दी जाती है। परमात्मा कहीं मंदिर में प्राप्त नही होते हैं। परमात्मा हमारे अंदर मौजूद है।मंदिरों मैं भगवान के समक्ष आने पर अपने अंदर बैठे हुए भगवान का बोध हो जाता है। उस क्रोध से रहित होने के लिए ही हम परमात्मा की शरण को प्राप्त होते हैं। उस प्रकार से प्रभु दर्शन से कुछ हमारी क्रोध की परिणति कम होती है।

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