Saturday, January 25, 2025

रक्षाबंधन बहन-भाई के पवित्र रिश्ते का प्रतीक: कमल दत्त शर्मा

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मेरठ। शुक्रवार प्रातः 9:00 से ही सैकड़ों बहने सुंदर थालिया हाथ में लिए हुए गीत गाते हुए अपने भाई कमल दत्त शर्मा के निवास स्थान श्री राम पैलेस दिल्ली रोड पर पंहुची। लगभग 1000 बहनों ने कमल दत्त शर्मा को रक्षा सूत्र बांधा। कमल दत्त शर्मा के निवास स्थान पर सभी बहनों के सम्मान के लिए बैठने का इंतजाम था तथा भोजन की व्यवस्था भी थी। बहनों ने कमल दत्त शर्मा को राखी बांधी। भारतीय परंपरा के अनुसार कमल दत्त शर्मा ने सभी बहनों को भेंट के रुप में मिठाई का डिब्बा तथा दीवार घड़ी भेंट की तथा हर घर तिरंगा अभियान के लिए सभी बहनो क़ो तिरंगा भी भेंट किया। कमल दत्त शर्मा ने सभी बहनों से रक्षा का वादा किया, सभी बहनों ने कमल दत्त शर्मा को स्वस्थ रहने व दीर्घायु की कामना की। भारतीय परंपरा में रक्षाबंधन का त्यौहार एक खून का रिश्ता ही नहीं बल्कि एक पवित्र रिश्ता है। इस त्यौहार में बहन अपने भाई की दीर्घायु व स्वस्थ रहने की कामना करती है तथा भाई जीवन भर अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। कमल दत्त शर्मा ने बताया इस वर्ष 4ooo से 5000 बहनों से राखी बंधवाने का संकल्प है। कमल दत्त शर्मा ने कहाकि, भारतवर्ष में रक्षाबंधन का त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि शायद कहीं भी संसार में आपको ऐसा बहन-भाई का पवित्र प्यार देखने को मिले। रक्षाबंधन का त्यौहार बहन-भाई के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। कमल शर्मा ने कहा यदि मेरी बहनों के साथ कोई परेशानी आती है तो उस परेशानी में मैं स्वयं सबसे आगे रहूंगा। कमल दत्त शर्मा ने कहा सभी बहनें राष्ट्रीय ध्वज को भी रक्षा सूत्र बंधेगी और देश की रक्षा करने का प्रण लेंगे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कर्मवीर सिंह,सह संगठन मंत्री भाजपा, सोमेन्दर तोमर, ऊर्जा राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, दिनेश खटीक उत्तर प्रदेश सरकार राज्य मंत्री, संजीव जैन सिक्का, प्रोजेक्ट ऑफ राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, सरोजनी अग्रवाल विधान परिषद सदस्य, अश्वनी त्यागी,विधान परिषद सदस्य, मुकेश सिंघल,महानगर अध्यक्ष, विमल शर्मा जिला अध्यक्ष मौजूद रहें। राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने कहा कि रक्षाबंधन सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। कर्मवीर ने कहा हर घर तिरंगा हर जन तिरंगा, तिरंगे क़ो भी रक्षा सूत्र बांधना हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में रक्षाबंधन का त्यौहार बहुत ही प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है, जब सिकंदर ने 300 ईसा पूर्व भारत पर आक्रमण किया था। उस समय भारत के राजा पोरस थे। सिकंदर की पत्नी जानती थी कि राजा पोरस बहुत बहादुर है और वह सिकंदर को मार देगे। सिकंदर की पत्नी यहां के रक्षाबंधन के पर्व को जानती थी। उसने भारत के राजा पोरस के लिए एक राखी भेजी। राजा सिकंदर की पत्नी जानती थी कि राखी पाने के बाद राजा पोरस उनके पति को नहीं मारेंगे। सिकंदर अपनी जीत के नशे में भारत की तरफ बढ़ा, परन्तु राजा पोरस के पहले ही आक्रमण से सिकंदर की बहुत बड़ी सेना मारी गई। राजा पोरस ने सिकंदर को मारने से छोड़ दिया। राजा पोरस ने अपना वादा पूरा किया और सिकंदर की पत्नी द्वारा भेजी हुई राखी की लाज रखते हुए सिकंदर को वापस जाने के लिए कहा, सिकंदर पहली बार अपनी इस हार को देखते हुए भारत से चला गया। यह एक भाई का अपने बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है। उन्होंने कहा यह केवल सगे भाई-बहन का ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो इस पर्व की मर्यादा को समझते हैं वह इसका पालन कर सकते हैं। सभी को कर्मवीर ने रक्षाबंधन की बहुत-बहुत बधाइयां दी।