- शासन ने इसे सुपर स्पेशलिटी में शामिल करने की दी मंजूरी
- किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मरीजों को मिल सकेगी
मेरठ। मेडिकल कॉलेज में बने सुपर स्पेशलिटी विंग में यूरोलॉजी विभाग बनने का रास्ता साफ हो गया है। मेडिकल कालेज प्रशासन के अथक प्रयास के बाद शासन से इसे सुपर स्पेशलिटी में शामिल करने की मंजूरी मिल गयी है। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डा.आरसी गुप्ता ने बताया कि बैठक में फिलहाल इसके लिए मौखिक मंजूरी मिल गई है। लिखित पत्र मिलने का इंतजार है। इसके बाद यूरोलॉजी का अलग विभाग बनाने का काम शुरू हो जाएगा।
बतादें मेरठ मेडिकल कॉलेज में मिनी एम्स की तर्ज पर बनाए गए ब्लॉक में शुरुआती योजना में यूरोलॉजी विभाग शामिल नहीं किया गया था। हालांकि यहां यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी में सर्वाधिक तकरीबन 250 से 300 मरीज प्रतिदिन आते हैं। आयुष्मान योजना के तहत भी यूरोलॉजी की 161 तरह की बीमारियों को सम्मिलित किया गया है। ऐसे में लंबे समय से अस्पताल प्रशासन यूरोलॉजी को सुपरस्पेशलिटी विंग में शामिल करने के प्रयास कर रहा है।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि सुपरस्पेशलिटी विंग में अब कई विभाग शुरू हो चुके हैं। न्यूरोलॉजी, कार्डियो, पीडियाट्रिक सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि यूरोलॉजी की भी आधुनिक इलाज की व्यवस्था होने के बाद यहां अन्य सुविधाओं के लिए भी रास्ता खुलेगा। किडनी ट्रांसप्लांट की भी सुविधा भी मरीजों को यहां मुहैया हो सकेगी।
उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज के सुपरस्पेशलिटी विंग में झुलसे हुए मरीजों के लिए रिकंस्ट्रक्टिव व प्लास्टिक सर्जरी, कैंसर के मरीजों के लिए रेडियोलॉजी, गुर्दे के मरीजों के लिए नेफ्रोलॉजी ओपीडी और नेफ्रो सर्जरी, दिल की सर्जरी के लिए कार्डियो थोरेसिक व वैस्कुलर सर्जरी, बच्चों के लिए पीडियाट्रिक ओपीडी और सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।