बागपत। चैत्र नवरात्र के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की गई और भजन-कीर्तनों के साथ उनका गुणगान किया गया। मंदिरों में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ी और उन्होंने देवी कात्यायनी के जयकारे लगाये।
नगर के बाबा जानकीदास मंदिर में देवी कात्यायनी का दिव्य पूजन किया गया और दुर्गा सप्तशती का पाठ हुआ। ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि इनकी पूजा अविवाहित जनों को अति शीघ्र फल प्रदान करती है। विशेष रूप से इनकी पूजा में लाल सिन्दूर, केशर, गुलाब का फूल तथा चूड़ी आदि सामान अर्पित किया जाता है। उन्होंने बताया कि इन भगवती का रूप अत्यंत भव्य है। इनकी चार भुजाये है। देवी का दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है। दूसरे हाथ में तलवार है। बायीं तरफ से ऊपर वाले हाथ में शस्त्र के साथ कमल पुष्प है। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। इनका वाहन सिंह है। भगवती कात्यायनी देवी की पूजा करने से मन को संतोष मिलता है। यह मन इच्छित कामना को सिद्ध करने वाली है। जिन कन्याओं के विवाह में किसी तरह की बाधा है, उन्हें इनकी पूजा करने से अति शीघ्र उत्तम वर की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा करते समय मन को एकाग्र अवश्य रखना चाहिए। शाम के समय मंदिर में आरती हुई और उसके बाद सभी को प्रसाद का वितरण किया गया।
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