बागपत। निर्माणाधीन परशुराम मन्दिर खेड़ा पुरामहादेव की सहायतार्थ नगर के पक्का घाट स्थित परशुराम भवन में चल रही हनुमत कथा में कथा व्यास अरविन्द ओझा ने हनुमत कथा में कहा कि ज्ञान जब भक्ति की अग्नि पर तपता है तभी वैराग्य उत्पन होता है,अन्यथा ज्ञानी पुरुष अर्जुन की तरह प्रश्न करता रहता है। भक्ति का एक नाम सेवा भी है।
उन्होंने कहा कि श्री हनुमान जी की दृष्टि सदैव सद्गुणों और सज्जनों पर रहती है, यही कारण है कि रावण की नगरी में हनुमान जी भगवान के भक्त का घर और भक्त दोनों को ढूंढ लेते हैं। लंका में विभीषण को उपदेश देते हुए हनुमान जी ने कहा था कि जीवन को सुखद बनाने का साधन भक्ति है और भक्ति भगवान की शरणागती से प्राप्त होती है। शरणागती में आये व्यक्ति को भगवान अभय करते है, इसलिए तुम भगवान की शरण में जाओ।
हनुमान चालीसा ऐसा ग्रन्थ है जो हमे भगवान तक पहुचने का मन्त्र व पंथ बताता है। गुरु की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो भगवान से परमात्मा से जोड़े वही गुरु हो सकता है, जो वेदों और सनातन परम्परा से तोडकर अपने से जोड़े वो गुरु नही हो सकता। हम गृह्रस्थ लोगों की जिम्मेदारी है की गुरु और पुरोहित की जीवन यापन की व्यवस्था करे, जिससे वो अपने शास्त्र व राष्ट्र को बचाने के लिए युवाओं को संस्कारित कर सके। हनुमान जी ने लंका में कुसंस्कारों के जो दृश्य देखे और माँ जानकी को दयनीय स्थिति को देखा तो हनुमान जी को अपना शिव रूप याद आ गया और उन्होंने अपने कोप से लंका को जलाकर लंका के लोगों को चेतावनी दी। देवमुनि जी ने अधिक से अधिक संख्या में मन्दिर के निर्माण में सहायता के लिए जन-जन से आह्वान किया।
कथा में विपिन त्यागी डीजीसी सिविल गाजियाबाद, मुकेश आँचल न्यास, कपिल शर्मा काठा, डा.एसपी यादव बालैनी, राजपाल शर्मा, राधेश्याम शर्मा, पूर्व प्रधानाचार्य जयपाल शर्मा आदि मौजूद थे।
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