बागपत। बागपत की युवा कवि पारुल सिंह नूर ने दिल्ली में हुए भव्य मुशायरे बज्म- ए-इंशाद में अपनी शायरी से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया और द्वितीय स्थान पर बाजी मारी। कार्यक्रम के आयोजकों ने उन्हें प्रशस्ति पत्र व ट्रॉफी देकर पुरस्कृत किया।
पारुल सिंह नूर बागपत जिले के बली गांव की रहने वाली है। उन्होंने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा बागपत से ही प्राप्त की। उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने ग्रेजुएशन तथा पोस्ट-ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की। पेशे से वह एक अध्यापिका, कवि और लेखक है। उन्हें हमेशा से कविताएँ पढ़ना तथा सुनना पसंद था। उनके पिता चौधरी फिरे सिंह ने सदैव ही उनकी रचनात्मकता तथा कौशल को सराहा और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। कम उम्र में ही वह तीन पुस्तकें लिख चुकी है जो मुख्यत काव्य संग्रह है। उनकी तीन किताबें इश्का,वो चाँद जैसी लड़की तथा तुम्हारी नूर, काव्य का बहुत खूबसूरत प्रदर्शन है। यह किताबें अमेज़ॉन तथा फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध है। पारुल सिंह नूर की कविताएँ जीवन भर के अनुभवों और कल्पनाओं का मिश्रण है और वह अपने शब्दों का चयन चुनिंदा रूप से करती हैं। उनके शब्दों में पाठकों को भावनाओं से बांधने का जादू है। उनकी रचनाएँ उच्च गुणवत्ता की हैं और वह खुद को कविताओं तक ही सीमित नहीं रखती हैं,बल्कि कविता के अन्य रूपों जैसे गज़ल, नज़्म, दोहे आदि में भी काम करती हैं। उन्होंने भारत में कई प्लेटफार्मों से अपनी कविताएँ पढ़ी है, जिसमे दिल्ली व जयपुर जैसे बड़े शहर भी शामिल है।
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