यूपी चुनाव  2022: अपना-अपना रथ, अपनी-अपनी राहें, धुंधली हुईं मिलन की आशाएं

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चाचा-भतीजे के बीच सुलह की गुंजाइश कम हो गई है।
  • उत्तर प्रदेश में सत्ता के सिंघासन की लड़ाई में समाजवादी संगम की उम्मीदें दम तोड़ती नजर आ रही हैं। चाचा और भतीजे के बीच अबतक सुलह नहीं हो पाई है और इसीलिए दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी के तय कार्यक्रम के मुताबिक आज से अलग-अलग रथ यात्रा निकालने जा रहे हैं।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सत्ता के सिंघासन की लड़ाई में समाजवादी संगम की उम्मीदें दम तोड़ती नजर आ रही हैं। चाचा और भतीजे के बीच अबतक सुलह नहीं हो पाई है और इसीलिए दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी के तय कार्यक्रम के मुताबिक आज से अलग-अलग रथ यात्रा निकालने जा रहे हैं। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव जहां कानपुर से अपनी समाजवादी विजय यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं, वहीं प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी मथुरा से सामाजिक परिवर्तन यात्रा का आगाज करने जा रहे हैं।
ये पहली बार है जब समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के परिवार के दो नामी-गिरामी नेता एक ही वक्त में अलग-अलग जगहों से चुनावी रथ यात्रा निकाल रहे हैं। हालांकि चाचा-भतीजे की अलग-अलग चुनावी यात्राओं से एक बात साफ है कि दोनों में सुलह की गुंजाइश बेहद कम हो गई है।
समाजवादी विजय यात्रा का पहला चरण बुंदेलखण्ड
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव की विजय यात्रा शुरू तो कानपुर से होगी लेकिन यात्रा का मुख्य लक्ष्य पार्टी के पुराने किले बुंदेलखण्ड में फिर से पैठ जमाना है। मंगलवार को जनता का समर्थन जुटाने की मांग के साथ अखिलेश यादव कानपुर से अपनी यात्रा शुरू करेंगे। इसके लिए एक मर्सिडीज बस को चुनावी रथ में तब्दील किया गया है। विजय यात्रा के रथ में एक तरफ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और दूसरी तरफ पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव की तस्वीर लगाई गई है। इसके साथ ही सुपर लग्जरी रथ में पार्टी के कद्दावर नेताओं जैसे आजम खान वगैरा के भी पोस्टर लगे हैं। इसके जरिए समाजवादी पार्टी ने आम जनता और कार्यकर्ताओं को ये दर्शाने की कोशिश की है कि चुनावी मैदान में ‘नई हवा के साथ नई सपा’ जरूर है लेकिन उसकी सोच में आज भी पार्टी के पुराने पुरोधा बसते हैं। जिन्हें आज भी उतना ही मान सम्मान मिलता है, जैसा सम्मान पहले मिलता था। देखा जाए तो इसके पीछे पार्टी के उन कार्यकर्ताओं और नेताओं को मनाने की कोशिश भी नजर आती है, जो चाचा और भतीजा में सुलह चाहते हैं।
बीजेपी सरकार को हटाना और हराना है मकसद
समाजवादी सुप्रीमो अखिलेश यादव की विजय यात्रा 12 अक्टूबर से कानपुर से शुरू होगी। जो कानपुर देहात से होते हुए जालौन और हमीरपुर तक जाएगी। पार्टी के मुताबिक यात्रा के पहले दो दिनों में यात्रा का उद्देश्य किसानों, युवाओं, दलितों, वंचितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों समेत सभी वर्गों को न्याय दिलाना। है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि जुलाई 2001 और सितंबर 2011 के बाद अखिलेश यादव की यह तीसरी चुनावी यात्रा है। समाजवादी पार्टी ने विजय यात्रा के एक दिन पहले 17 सेकेंड का एक वीडियो जारी किया, जिसमें अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव से बात करते और आशीर्वाद लेने के लिए उनके पैर छूते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो के जरिए अखिलेश यादव ने उन लोगों को जवाब दिया है, जो समाजवादी विजय यात्रा का पोस्टर देखकर उसमें मुलायम सिंह यादव की तस्वीर ना होने पर तंज कस रहे थे। हालांकि अखिलेश यादव की यात्रा पर कटाक्ष करते हुए यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि जब सीएम योगी कोरोना काल के दौरान प्रदेश के कोने-कोने तक दौड़भाग कर रहे थे, तब सपा के ये नेता अपने एयरकंडीशंड कमरे में बैठकर ट्वीट-ट्वीट खेल रहे थे। अब वही लोग वातानुकूलित रथ से लोगों के बीच जाने का नाटक कर रहे हैं।
मथुरा से सामाजिक परिवर्तन यात्रा निकालेंगे शिवपाल
भगवान कृष्ण की भूमि से अपनी परिवर्तन यात्रा शुरू करने जा रहे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव का संदेश साफ है कि 2022 का चुनाव एक धर्मयुद्ध है, और जिस तरह भगवान कृष्ण धर्म के पक्ष में थे, वैसे ही हम भी अधर्मियों के विनाश के लिए लड़ने जा रहे हैं। शिवपाल की यह यात्रा सात चरणों में होगी। जिसमें राज्य के 75 जिले शामिल होंगे। इन सात चरणों में विधानसभा की सभी 403 सीटों को कवर किया जाएगा। वृंदावन बिहारी लाल भगवान कृष्ण के दर्शन के बाद इसकी शुरुआत मथुरा से होगी। आज मथुरा से ही चुनावी शंखनाद फूंकेंगे शिवपाल सिंह यादव। प्रसपा का कहना है कि शिवपाल यादव प्रदेश के इकलौते ऐसे नेता हैं, जो उत्तर प्रदेश की हर विधानसभा का दो बार दौरा कर चुके हैं। 12 अक्टूबर से 27 नवंबर के बीच चलने वाली शिवपाल सिंह यादव की परिवर्तन यात्रा 7 चरणों में होगी। मथुरा से शुरू होने वाली यात्रा का अंतिम चरण रायबरेली में होगा।
यात्रा की शुरूआत आज करने के पीछे खास मकसद
चाचा-भतीजे के बीच सुलह की गुंजाइश कम हो गई है। अलग-अलग यात्राओं से इस बात को और भी ज्यादा बल मिला है लेकिन 12 अक्टूबर यानी आज का दिन दोनों ने खासतौर पर चुना है। दरअसल जय प्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया ने 12 अक्टूबर को ही तत्कालीन सरकार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की थी। इसी दिन अपना-अपना रथ लेकर चुनावी यात्राओं पर निकल रहे अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का मकसद भले ही एक हो लेकिन राहें फिलहाल जुदा ही हैं। समाजवादी कुनबे में शुरू हुआ झगड़ा अभी तक खत्म नहीं हुआ है। जिसका असर दोनों ही पार्टियों के चुनावी नतीजों पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

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