Tuesday, April 23, 2024

सीसीएसयू के वनस्पति विज्ञान में 25 दुर्लभ और स्थानिक स्पीशीज का कैम्पस में संरक्षण के लिये प्रवेश कराया

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मेरठ। शनिवार को वनस्पति विज्ञान में 25 दुर्लभ और स्थानिक स्पीशीज का कैम्पस में संरक्षण के लिये प्रवेश कराया गया। प्रत्येक स्पीशीज के 2-2 सैपलिंग लगायी गयी। यह कार्य वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष की देखरेख में कराया गया। ये सभी स्पीशीज बौटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (बी .एस.आई.) के वैज्ञानिक डा.रमेश कुमार पालीवाल के द्वारा, वनस्पति विज्ञान विभाग को उपलबध करायी गयी, जो इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भी थे।
ये 25 स्पीशीज इस प्रकार हैः-
एसर आबलोन्गम एकोरस कैलेमस, एल्पिनिया कैलकराटा, एल्पिनिया मैलाक्सेन्सिस एल्पिनिया जेरूमबेट, एल्सटोनिया मैक्रोफिला, आर्टोकार्पस लैकुचप, ब्रगमैन्सिया सुआविपोलेन्स, क्लोरोफाइटम ट्यूबेरोसम, सिनामोमम् तमाला, ग्लोब्बा स्कोमबर्गकी, हेडीचियम फलेवेसेन्स, हेडीचियम रूब्रम, जैस्मीनम पारकेरी, मुसा सिक्किमेन्सिस, मुसा वेलुटिना, फ्लोमोइड्स सुप्रबा, पाइपर बेटल, पाइपर लोंगम, पिटोस्पोरम इरियोकार्पस, क्वेरकस ऑबलोन्गाटा, सोफोरा मोलिस, टर्मिनेलिया इलिप्टिका, जैन्थोजाइलम आरमेटम और जिंजीबर रूबेन्स। इनमें से जैन्थोजाइलम आरमेटम, जैसमीनम पारकेरी, मूसा सिक्किमेन्सिस, फ्लोमोइड्स सुप्रबा, पिटोस्पोरम इरियोकार्पस और सोफोरा मोलिस एन्डेमिक स्पीशीज है। इनमें जैस्मीनम पारकेरी (हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले), मूसा सिक्किमेन्सिस (मणिपुर के सीनापति जिले), फ्लोमोइड्स सुप्रबा(वेस्टर्न हिमालया), पिटोस्पोरम इरियोकार्पस (हिमाचल प्रदेश), सोफोरा मोलिस (नार्थ-वेस्ट हिमालय के प्लेन्स और फुटहिल्स) और जैन्थोजाइलम आरमेटम (पाकिस्तान) में मिलते हैं।
इस कार्यक्रम में वनस्पति विज्ञान विभाग के रिसर्च स्कॉलर्स ने बढ़चढ़कर भाग लिया। प्रत्येक रिसर्च स्कॉलर को भविष्य के लिए 2-2 सैपलिंग का संरक्षण और ध्यान रखने के लिये जिम्मेदारी दी गयी। वनस्पति विज्ञान विभाग में पहले भी रोपित किये गये पौधों की जिम्मेदारी कर्मचारियों को दी गयी है, जिसके फलस्वरूप विभाग के सभी प्लांटेशन कार्यक्रम शत-प्रतिशत सफल रहे है।
वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.विजय मलिक ने बताया कि प्लांटेशन के इस तरह के कार्यक्रम का उट्टेश्य विश्वविद्यालय में एक ऊँचे स्तर की कंजरवेटरी विकसित करना है। इससे दुर्लभ प्रजातियों को विलुप्त होने से भी बचाया जा सकता है।
इतने बड़े स्तर पर विश्वविद्यालय में यह पहली बार एन्डेमिक और दुर्लभ प्रजातियों का प्रवेश कराया गया है। निश्चित रूप से इस तरह पौधों के प्रवेश से रिसर्च स्कॉलर, साइंटिस्ट और टीचर्स को फायदा पहुँचेगा।
इस कार्यक्रम में विभाग के रिसर्च स्कॉलर्स- विवेक कुमार, ललिता सैनी, अर्चस्वी त्यागी, पूजा जैन, संदीप कुमार, मनीष कुमार, महेन्द्र सिंह, ज्योति चौधरी, चंदन यादव, कुलदीप कुमार इत्यादि सम्मिलित रहें।

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