Tuesday, April 23, 2024

भारत में आपदा प्रबन्धन पर व्याख्यान

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मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सुभारती मेडिकल कॉलिज के कम्युनिटी मेडिसन विभाग में भारत में आपदा प्रबन्धन विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता डा.आशुतोष देव कौशिक, नेशनल सेन्टर फॉर डिजास्टर मैनेजमेन्ट, नई दिल्ली के पूर्व पर्यावरण वैज्ञानिक ने बताया कि आपदा प्रबन्धन के मुख्य चरण किसी भी आपदा के खतरे की रोकथाम, आपदा से निपटने की तैयारी, खतरनाक आपदा की स्थिति में तत्काल आपदा प्रबन्धन के लिये प्रतिक्रिया तथा आपदा के प्रभाव की गम्भीरता या परिणाम का आकलन करना अति आवश्यक है।
उन्होने बताया कि आपदा दो प्रकार की होती हैं। प्राकृतिक आपदा व मानव जनित आपदा। प्राकृतिक आपदा में भूंकप, ज्वालामुखी, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, वनों में आग लगना, शीतलहर, समुद्री तूफान, तापलहर, सुनामी, आकाशीय बिजली का गिरना, बादलों का फटना आदि हैं। इसके अलावा सड़क/रेल दुर्घटना, आग लगना बम विस्फोट, रासायनिक आपदाए, संक्रमण महामारी, वाहनों, कल कारखानों से निकलने वाला धुआ, जीवाश्म ईधनों (कोयला, तेल गैस) के पूर्ण और अपूर्ण दहन, ताप विद्युत सयंन्त्र आदि मानव जानित आपदा है।
उन्होने कहा कि आपदा प्रबन्धन व्यावसायकि समन्वयक के रूप में कार्य करता है यह सुनिश्चित करता है कि समस्त आवश्यक सहायक संसाधन और सुविधायें सही समय पर आपदा ग्रस्त क्षेत्र में उपलब्ध हो। जिससे कम से कम जानमाल का नुकसान हो।
कम्युनिटी मेडिसन विभाग के विभागाध्यक्ष डा.राहुल बंसल ने कहा कि आपदा के खतरे को रोकने के लिये निमित योजनाबद्ध तरीके से प्रबन्ध किया जा सकता है। मेरठ में मुख्यतः भूकम्प का खतरा है। उस ही तरह आग लगना भी एक समस्या हैं इसके लिये समय-समय पर सुभारती में अग्निशमन की ड्रिल होती रहती है। उन्होने आपदा के बाद उत्पन्न होने वाली मुख्यतः समस्याओं “पोस्ट डिजास्टर सिड्रोम” के विषय में भी बताया।
इस अवसर पर डा.सुरभि गुप्ता, विभागाध्यक्ष फार्माकोलोजी, डा.भावना पंत, डा.पवन पाराशर, डा.वर्षा चौधरी, डा.अनुराधा दवे, डा.मोनिका गुप्ता, डा.सौरभ शर्मा, डा.कायनात नासिर, डा.प्रतीक किशोर, डा.आंचल, डा.अमनदीप कौर, डा.सरताज अहमद सहित इर्न्टस, मेडिकल के छात्र-छात्रायें, योगा व नैचुरौपैथी एवं नर्सिग के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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