Friday, April 19, 2024

डा.एपीजे अब्दुल कलाम सोशल वेलफेयर सोसाइटी ने किया लोगों को गिरते भूजल के प्रति जागरूक

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हापुड़। डा.एपीजे अब्दुल कलाम सोशल वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारियों ने नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से आमजन को व कॉलेज के बच्चो को जल संरक्षण व भूजल के बारे मे विस्तार से बताया। सोसाइटी के चेयरमैन दानिश कुरैशी ने बताया कि जल संरक्षण के कई वैज्ञानिक तरीके हैं जिनमें सबसे कारगर तरीका रेनवॉटर हार्वेस्टिंग को माना जाता है। इसका अर्थ है, वर्षा से प्राप्त छत के पानी को किसी भी तरीके से भूगर्भ में डालना व रेनवॉटर हार्वेस्टिंग के चार तरीके हो सकते हैं। पहला, वर्षा के पानी को एक गड्ढे के जरिये सीधे धरती के भूगर्भीय जल भंडार में उतार दिया जाता है। दूसरा, बड़े संस्थानों के परिसर की बाउंड्री वॉल के पास बड़ी खाइयां बनाकर उनमें वर्षा के पानी को एकत्रित करके जमीन में उतारा जाता है। तीसरा, छत के बरसाती पानी को पाइप के द्वारा कुएं में उतारा जाता है। इससे कुआं तो रिचार्ज होता ही है साथ ही पानी जमीन के भीतर भी रिस जाता है। इसी तरह ट्यूबवेल के द्वारा भी पानी जमीन में उतारा जाता है पर इसके लिए ट्यूबवेल को जोड़ने वाले पाइप के बीच फिल्टर जरूर लगाना चाहिए।
चौथा,उपर्युक्त तीन तरीकों से यह अलग है, क्योंकि यह भूगर्भिक जल भंडार को रिचार्ज करने के बजाए छत के बरसाती पानी को सीधे किसी सीमेंट के बने पक्के टैंक में जमा किया जाता है। हांलाकि अन्य तीनों तरीको से यह खर्चीला तरीका है, लेकिन बड़े-बड़े बांधों व नहरों के निर्माण से तो कई गुना सस्ता है।
इसके लिए घर के नीचे या घर के पास ही सीमेंट का एक पक्का टैंक बनाया जाता है जिसके पास ही एक अन्य छोटा टैंक बनाया जाता है। इस छोटे टैंक में सबसे नीचे मोटे कंकड़ बीच में छोटे कंकड़ और सबसे ऊपर बारीक रेत या बजरी डाल दी जाती है।
यह सिस्टम वर्षा के जल को फिल्टर करता है। वर्षा का छत पर गिरा पानी पाइप के द्वारा इस छोटे टैंक में डाल दिया जाता है, जहां पानी प्राकृतिक रूप से फिल्टर होकर एक अन्य पाइप द्वारा मुख्य टैंक में जाकर एकत्रित हो जाता है और वहां से उसका उपयोग लम्बे समय तक किया जा सकता है। एक हजार वर्ग फीट क्षेत्रफल की एक छत से लगभग एक लाख लीटर पानी (90 सेमी.औसत वार्षिक वर्षा होने पर) एकत्र हो सकता है, जो 4 सदस्यों वाले एक परिवार के लिए 200 दिनों के लिए पर्याप्त है। यह जल संरक्षण का सबसे कारगर, सस्ता व अच्छा तरीका है। इसका एक लाभ यह भी है कि रेनवॉटर हार्वेस्टिंग में 6.95 पीएच वैल्यू का पानी मिलता है जिसे पानी की गुणवत्ता के मामले में आदर्श माना जाता है और फ्लोराइड की समस्या भी नहीं होती है।
अतः भारत में रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अधिकाधिक अपनाकर जल संरक्षण करना चाहिए ताकि निकट भविष्य के जल संकट से बचा जा सके। हम सबको यह संकल्प लेना होगा की बरसात के पानी को बहकर समुद्र में मिलने से पहले किसी भी तरह से जमीन में उतारना है। यही नहीं डा.एपीजे अब्दुल कलाम सोशल वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारियों द्वारा अपने निजी खर्चे पर 4 रेनवॉटर हार्वेस्टिंग भी बनवाएं हैं।
सोसायटी के चेयरमैन दानिश कुरेशी ने कहा कि जल ही जीवन है। हमें जल को व्यर्थ नहीं करना चाहिए, अगला जो विश्व युद्ध होगा वह पानी के ऊपर ही होगा इसलिए हमें जल के महत्व को समझना चाहिए।
इस मौके पर सोसायटी के मुख्य संरक्षक सुनील कुमार श्रीवास्तव, डा.दिलशाद अली, वसी मोहम्मद, आसिफ मेवाती, डा.आमिर, डा.अब्दुल सलाम, कारी शहजाद, राशिद अली, इलियास अहमद, इरफान, मोहम्मद अहमद आदि पदाधिकारीगण जन जागरूकता अभियान में उपस्थित रहे।

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