Tuesday, April 23, 2024

गर्भवती महिला की करें खास देखभाल ताकि जच्चा-बच्चा रहें खुशहाल

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  • उच्च जोखिम गर्भावस्था की समय से पहचान जरूरी: डा.किरण

मेरठ। मातृत्व स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने पर सरकार व स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है। इसके तहत हर जरूरी बिन्दुओं का खास ख्याल रखते हुए जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) परीक्षितगढ़ की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा.किरण सिंह का कहना है कि सरकार व विभाग मातृत्व स्वास्थ्य के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। गर्भवती की मुफ्त जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्र पर विशेष आयोजन होता है, जहाँ गर्भवती महिलाओं की सम्पूर्ण जांच निशुल्क की जाती है और कोई जटिलता नजर आती है तो उन महिलाओं को चिन्हित कर उन पर खास नजर रखी जाती है, ताकि जच्चा -बच्चा को सुरक्षित बनाया जा सके। इसके अलावा पहली बार गर्भवती होने पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किश्तों में 5000 रुपए दिए जाते हैं। इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना है, जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपए और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपए दिए जाते हैं। सुरक्षित प्रसव के लिए समय से घर से अस्पताल पहुँचाने और अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की सेवा भी उपलब्ध है।
डा.किरण कहती हैं मां-बच्चे को सुरक्षित करने का पहला कदम यही होना चाहिए कि गर्भावस्था की पहली दूसरी और तीसरी तिमाही में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि किसी भी जटिलता का पता चलते ही उसके समाधान का प्रयास किया सके। इसके साथ गर्भवती के खानपान का खास ख्याल रखें। खाने में हरी साग सब्जी, फल आदि का ज्यादा इस्तेमाल करें आयरन और कैल्शियम की गोलियों का सेवन करें।
जटिलता वाली गर्भवती (एचआरपी) की पहचान
डा.किरण के अनुसार पहले प्रसव में बच्चे की पेट में मृत्यु हो गयी हो या पैदा होने पर मृत्यु हो गयी हो, कोई विकृति वाला बच्चा पैदा हुआ हो, प्रसव के दौरान या बाद में अत्याधिक रक्तस्राव हुआ हो, पहला प्रसव बड़े आपरेशन से हुआ हो, गर्भवती को पहले से कोई बीमारी हो, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) या मधुमेह (डायबीटीज) या गुर्दे की बीमारी, टीबी या मिर्गी की बीमारी, पीलिया, लिवर की बीमारी, थायराइड आदि वर्तमान गर्भावस्था में यह दिक्कत तो नहीं, गंभीर एनीमिया सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन, ब्लड प्रेशर 90-140-से अधिक, गर्भ में आड़ा-तिरछा या उल्टा बच्चा, चौथे महीने के बाद खून जाना गर्भावस्था में डायबिटीज का पता चलना, एचआईवी या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होना आदि जटिलता वाली गर्भावस्था कहलाती है।
सच्ची सहेली बनी आशा
आशा कार्यकर्ता गर्भवती का स्वास्थ्य केंद्र पर पंजीकरण कराने के साथ ही इस दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में जागरूक करने में सच्ची सहेली की भूमिका अदा करती हैं । इसके साथ ही प्रसव पूर्व जरूरी जांच कराने में मदद करती हैं। संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करती हैं और प्रसव के लिए साथ में अस्पताल तक महिला का साथ निभाती हैं।

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