Wednesday, April 24, 2024

केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, 3600 करोड़ रुपये के VVIP हेलिकॉप्टर घोटाले से जुड़ी इटली की कंपनी से बैन हटाया

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रक्षा मंत्रालय ने इटली की कंपनी के अनुरोध और कानून मंत्रालय और अन्य एजेंसियों से परामर्श के आधार पर यह फैसला किया है। उस वक्त भले ही भ्रष्टाचार का मामला केवल अगस्ता वेस्टलैंड से संबंधित था, लेकिन कंपनी से सभी प्रकार की डील्स को रोक दिया गया था।
नई दिल्ली : सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 3600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले के सिलसिले में प्रतिबंधित इटली की कंपनी लियोनार्डो (पहले नाम फिनमेकेनिका) के साथ लेनदेन पर लगे प्रतिबंध को हटाने का फैसला किया है। एनआई की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी सूत्रों ने बताया कि कंपनी के साथ शर्तों के साथ डील करने पर प्रतिबंध हटा लिया गया है।
निर्णय के अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कंपनी के खिलाफ जांच जारी रहेगी। सूत्रों ने कहा, कंपनी को पहले हस्ताक्षरित किसी भी समझौते के आधार पर भारत सरकार से कोई वित्तीय दावा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रतिबंध हटने के बाद इसे नए सिरे से शुरू करना होगा।
इस वक्त लगाई गई थी रोक
भारत ने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 2013-14 में कंपनी के साथ सौदे पर रोक लगा दी थी, जब यूरोपीय एजेंसियों ने VVIP के लिए भारत को 12 AW-101 हेलीकॉप्टरों की सप्लाई के लिए 3600 करोड़ रुपये के सौदे में उनकी भूमिका के लिए कई व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था।
इसलिए किया गया बड़ा फैसला
सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने इटली की कंपनी के अनुरोध और कानून मंत्रालय और अन्य एजेंसियों से परामर्श के आधार पर यह फैसला किया है। उस वक्त भले ही भ्रष्टाचार का मामला केवल अगस्ता वेस्टलैंड से संबंधित था, लेकिन पूरे समूह फिनमेक्कनिका के साथ किसी भी तरह की डील को रोक दिया गया है। इसमें ब्लैक शार्क टॉरपीडो के सौदे भी शामिल थे, जिन्हें उस समय भारतीय नौसेना के अधिग्रहित करने की मंजूरी दी गई थी।
हाल में एक हुई गिरफ्तारी
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 3,600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदा मामले में आरोपी राजीव सक्सेना को कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। अधिकारियों ने कहा था कि हेलीकॉप्टर सौदों के मामले में एक कथित बिचौलिया सक्सेना दुबई में रह रहा था और भारत द्वारा 31 जनवरी, 2019 को उसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से देश लाया गया था और मामले में एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया गया था। रिश्वत के आरोप सामने आने के बाद 2014 में भारत ने वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे को रद्द कर दिया था।

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