Tuesday, April 23, 2024

एनआरएचएम में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों के ईपीएफ में घोटाले की आशंका

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बिजनौर। जनपद बिजनौर में एनआरएचएम में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों के इपीएफ में घोटाले की आशंका है। जनपद बिजनौर में एनएचएम में लगभग 2000 स्वास्थ्य कर्मी तैनात हैं। जिनमें से लगभग 400 कर्मचारियों का अट्ठारह सौ रुपए प्रतिमाह उनके वेतन से ईपीएफ के लिए काटा जाता है। बताया जाता है कि जुलाई माह के पश्चात से अभी तक एक माह का भी इपीएफ कर्मचारियों के वेतन खाते में परिलक्षित नहीं हो रहा है। जबकि नियमानुसार ईपीएफ प्रत्येक माह परिलक्षित होना चाहिए। इस संदर्भ में पिछले लगभग 1 माह से अनेक बार पूर्व डीवीएम भानु, एसीएमओ पीके गुप्ता व सीएमओ विजय कुमार गोयल से संपर्क कर जानकारी लेने का प्रयास किया गया। पूर्व डीवीएम भानु, एसीएमओ पीके गुप्ता ने हर बार आश्वस्त किया कि कर्मचारियों का पैसा शीघ्र ही उनके खातों में भेज दिया जाएगा। उनसे जब यह जानकारी मांगी गई कि अभी तक यह पैसा उनके खातों में क्यों नहीं पहुंचा है तो उन्होंने बताया कि उनका पैसा किसी और मद में इस्तेमाल कर लिया गया था जो कि अब शासन से आने पर उनके खातों में भेज दिया जाएगा। 31 मई को एसीएमओ पीके गुप्ता व डीवीएम फारुख अजीज ने बताया कि सभी कर्मचारियों का मार्च तक का ईपीएफ का पैसा उनके खातों में भेज दिया गया है, जबकि अनेक स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि उनके खाते में अभी तक भी पैसा परिलक्षित नहीं हो रहा है। वर्तमान में तैनात डीवीएम फारुख अजीज का कहना है कि तीन-चार दिन में पैसा खाते में परिलक्षित होने लगेगा।
इस संदर्भ में अनेक बार सीएमओ विजय कुमार गोयल से संपर्क करने का प्रयास किया गया उनको संपर्क करने के लिए मैसेज भी भेजा गया। उनके कार्यालय में जाकर भी मिलने का प्रयास किया गया तथा उनके कार्यालय के कर्मचारियों को वोटिंग कार्ड देकर बात कराने का अनुरोध भी किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। आश्चर्यजनक बात यह है कि इतना सब करने के बावजूद भी सीएमओ विजय कुमार गोयल ने एक बार भी संपर्क करने का प्रयास नहीं किया। जिससे उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं।
विशेष बात यह है कि अट्ठारह सौ रुपए के हिसाब से ₹400 कर्मचारियों के प्रत्येक माह लगभग ₹720000 बैठते हैं जो कि 10 महीने में 72 लाख होते हैं। इस रकम पर कर्मचारियों को सरकार की ओर से ब्याज मिलता जो अब नहीं मिलेगा। उसका जिम्मेदार कौन है और यह पैसा किसके आदेश पर और किस अधिकार से अन्य मद में खर्च किया गया। जिलाधिकारी बिजनौर उमेश मिश्रा से आशा व्यक्त की जाती है कि वह इस प्रकार की उच्च स्तरीय जांच करा कर दोषी व जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का काम करेंगे।

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