बागपत। बरनावा अतिशय क्षेत्र की तपोभूमि में अष्टह्निका महापर्व में ब्रह्मचारी प्रदीप पीयूष जैन जबलपुर के निर्देशन में श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में आठ श्रीफल समर्पित किए।
प्रदीप पीयूष ने बताया कि नंदीश्वर द्वीप आठवां द्वीप है। उसके प्रत्येक दिशा में 13-13 जिन मंदिर है। एक -एक मंदिर में 108-108 जिनेंद्र भगवान की प्रतिमाएं है। उन प्रतिमाओं के दर्शन असंख्यात देव कार्तिक के महीने, फाल्गुन के महीने, आषाढ़ के महीने अंतिम आठ दिन निरंतर पूजा अर्चना करते हैं। चारों दिशाओं में 52 प्रतिमाएँ जिन मंदिर है। उन मंदिर में भगवान के दर्शन करने से समस्त असंख्यात देवों को सातिशय पुण्य का अर्जन होता है और उन्हें सम्यक दर्शन की प्राप्ति होती है। सौ धर्म इन्द्र हाथ में श्रीफल नारियल को लेकर ऐरावत हाथी पर चढ़कर आता है।
ईशान इंद्र रत्नों आवरणों से सुशोभित उत्तम हाथी पर चढ़कर हाथ में सुपारी फलों के गुच्छे लेकर भक्ति भाव से आता है। सनत कुमार इन्द्र आम्र फलों के भक्ति भाव से सिंह पर बैठ कर पूजा करने आता है। महेंद्र इंद्र घोड़ों पर बैठकर हाथों में केले की घुटनों को लेकर भक्ति भाव से पूजा अर्चना करते हैं। शेष इंद्र भी अपने अपने विमानों पर सवार होकर आते हैं मनुष्य के वहां जा कर पूजा अर्चना करने की सामर्थ नहीं होती है। अतः वे जहां पर निवास करते हैं वहां के प्राचीन जिन मंदिर में सिद्धचक्र महामंडल विधान संपन्न करते हैं। इस मौके पर सरिता जैन, कृष्णा जैन, बादामी बाई जैन, आशीष जैन, मुकेश पुजारी आदि मौजूद थे।
सिद्धचक्र महामंडल विधान में की प्रभु की पूजा-अर्चना
