Thursday, March 30, 2023

चरित्र निर्माण शिविर में बच्चों ने सीखे विभिन्न योगासन

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बागपत। सनबीम पब्लिक स्कूल में आयोजित आर्य वीरांगना योग एवं चरित्र निर्माण शिविर के दूसरे दिन के कार्यक्रम में आचार्य डा.धीरज आर्य द्वारा यज्ञ के उपरांत शिक्षा विषय पर बताया गया कि सत्यार्थ प्रकाश द्वितीय समुल्लास में ऋषि दयानंद लिखते हैं कि मातृमान पितृमान आचार्यवान पुरुषो वेद अर्थात एक माता दूसरा पिता और तीसरा आचार्य होवे, तभी मनुष्य ज्ञानवान होता है।
वह कुल धन्य वह संतान बड़ा भाग्यवान जिस के माता और पिता धार्मिक विद्वान हो। जितना माता से संतानों को उपदेश और उपकार पहुंचता है,उतना किसी से नहीं। जैसा माता संतानों पर प्रेम, उनका हित करना चाहती है उतना अन्य कोई नहीं करता। बालकों को माता सदा उत्तम शिक्षा किया करें, जिससे संतान सभ्य हों और किसी अंग से कुचेष्टा न करने पावें। जब बालक 5 साल के हो तब देवनागरी अक्षर का ज्ञान करावें, उसके पश्चात जिनसे अच्छी शिक्षा, विद्या, धर्म, परमेश्वर, माता-पिता, आचार्य, विद्वान, अतिथि, राजा, प्रजा, कुटुंब, बन्धु, भगिनी, भृत्य आदि से कैसे कैसे वर्तना इन बातों के मंत्र, श्लोक, सूत्र, गद्य, पद्य अर्थ सहित कंठस्थ करावें, जिनसे संतान किसी धूर्त के बहकावे में ना आवे और जो विद्या धर्म विरुद्ध भ्रान्ति जाल में गिराने वाले व्यवहार हैं, उनका भी उपदेश कर दें, जिससे वे भूत-प्रेत आदि मिथ्या बातों पर विश्वास न करें।
इस दौरान बच्चों को विभिन्न योगासन सिखाये गये। कार्यक्रम में सनबीम पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य दीपेश जैन, प्रबंधक संजीव पंवार, आर्य प्रतिनिधि सभा बागपत के प्रधान राजेंद्र आर्य, आर्यवीर दल संचालक यतेंद्र राणा, यशपाल आर्य, बाबूराम आर्य, विकास आर्य, व्यायाम शिक्षक जयराम आर्य आदि उपस्थित रहे।

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