Monday, March 20, 2023

केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, एक होंगे दिल्ली के तीनों नगर निगम, कैबिनेट ने लगाई मुहर

Must read

मोबाइल की लत बच्चों के लिए नुकसानदायक इसीलिए अभिभावक दे ध्यान, जाने उनकी दिनचर्या : सुशील वत्स

कोरोना ने हमारी जिंदगी को बदल दिया यह कहना तार्किक होगा। एक बड़ा बदलाव पूरी दुनिया में देखने को मिला। लोगों ने एक दूसरे...

रामनिवास सभापति व सुदेश देवी उपसभापति बने

बिनौली कृषक सेवा सहकारी समिति पदधिकारियों का चुनाव बिनौली: कृषक सेवा सहकारी समिति बिनौली के पदाधिकारियों के रविवार को हुए चुनाव में सभापति पद...

स्काउट-गाइड़ कार्यक्रम का समापन समारोह आयोजित

मेरठ। पं. दीनदयाल उपाध्याय मैनेजमेंट कॉलेज के बी.एड़. विभाग में गत एक सप्ताह से चल रहे स्काउट-गाइड़ कार्यक्रम के समापन समारोह का आयोजन किया...

बिजवाड़ा से रणवीर बने संचालक

विकास बड़गुर्जर, ब्यूरो चीफ बिनौली: कृषक सेवा सहकारी समिति बिनौली के संचालक मंडल का चुनाव शनिवार को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच शांति पूर्वक संपन्न...
  • केंद्र सरकार ने दिल्ली के तीनों नगर निगम को एक करने का फैसला किया है। कैबिनेट ने इस फैसले पर मुहर लगा दी है।

दिल्ली: केंद्र सरकार ने दिल्ली के तीनों नगर निगम को एक करने का फैसला किया है। कैबिनेट ने इस फैसले पर मुहर लगा दी है। 2012 में नगर निगम चुनाव से पहले दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में बांट दिया गया था। इसे तीन निगमों दक्षिण नगर न‍िगम, उत्तर नगर निगम और पूर्वी नगर निगम में बांट दिया गया था। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद तीनों नगर निगमों को एक करने के साथ ही 272 वार्ड ही रखे जाएंगे, लेकिन मेयर का कार्यकाल बढ़ाकर कम से कम ढाई वर्ष किया जा सकता है। हालांकि, इस व्यवस्था में तकनीकी पेंच फंस सकता है, क्योंकि अभी की व्यवस्था के मुताबिक आरक्षण व्यवस्था का बड़ा पेंच है।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम को तीन निगमों में विभाजित करने का प्रयोग अब तक असफल रहा है। नगर निगम को विभाजित करने के बाद से ही नगर निगमों के कामकाज में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ, उलटे निगम वित्तीय संकट में इस कदर फंस गए कि कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया था। साल 2011 में जब दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं, तो उन्होंने दिल्ली विधानसभा ने एक प्रस्ताव पास किया था, जिसे केंद्र सरकार ने अपनी स्वीकृति दी थी। इसके बाद तीनों नगर निगमों का पहली बार चुनाव 2012 में हुआ। उस समय दिल्ली और केंद्र दोनों जगहों पर कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी का राज था।
अपनाई जा सकती है मेयर-इन-काउंसिल व्यवस्था
बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार का दखल निगम में बेहद कम करने के लिए मेयर-इन-काउंसिल व्यवस्था अपनाई जा सकती है, जिसमें मेयर और उसके पार्षदों को शहर के लोग सीधे चुनेंगे। अगर ऐसा होता है तो वह राज्‍य के सीएम अरव‍िंंद केजरीवाल से ज्यादा प्रभाव वाला माना जाएगा, क्योंकि सीएम तो सिर्फ एक विधानसभा से विधायक के तौर पर चुना जाता है। वहीं, मेयर और पार्षदों का कार्यकाल बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है।
कैसे थे 2017 में हुए नगर निगम चुनाव के नतीजे
2012 के चुनाव में तीनों नगर निगमों में बीजेपी की शानदार जीत दर्ज की थी। बीजेपी 272 में से 138 सीटें जीतने में सफल रही थी, जबकि कांग्रेस पार्टी को 77 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। 2017 में जब दूसरी बार नगर निगम का चुनाव हुआ तो बीजेपी की एकतरफा जीत हुई और बीजेपी के सीटों की संख्या 138 से बढ़ कर 181 पर पहुंच गई थी। 2017 में पहली बार नगर निगम चुनाव लड़ते हुए आम आदमी पार्टी 49 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही और कांग्रेस 31 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी।

 

Latest News